भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा - 43
(संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारम्भ और बना रहना)
संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार -
(क) तब प्रारम्भ होता है, जब संपत्ति के संकट की युक्तियुक्त आशंका प्रारम्भ होती है;
(ख) चोरी के विरुद्ध अपराधी के संपत्ति सहित पहुंच से बाहर हो जाने तक या तो लोक प्राधिकारियों की सहायता अभिप्राप्त कर लेने या संपत्ति प्रत्युद्धत हो जाने तक बना रहता है;
(ग) लूट के विरुद्ध तब तक बना रहता है, जब तक अपराधी किसी व्यक्ति की मृत्यु या उपहति, या सदोष अवरोध कारित करता रहता या कारित करने का प्रयत्न करता रहता है, या जब तक तत्काल मृत्यु का, या तत्काल उपहति का, या तत्काल वैयक्तिक अवरोध का, भय बना रहता है,
(घ) आपराधिक अतिचार या रिष्टि के विरुद्ध तब तक बना रहता है, जब तक अपराधी आपराधिक अतिचार या रिष्टि करता रहता है;
(ङ) रात्रौ-गृह-भेदन के विरुद्ध तब तक बना रहता है, जब तक ऐसे गृह-भेदन से आरम्भ हुआ गृह-अतिचार होता रहता है।